भारत के न्यायलय

जिन उच्च न्यायलयों के अधिकार क्षेत्र मे 1 से अधिक राज्य/केंद्र शाषित प्रदेश है

उच्च न्यायलयअधिकार क्षेत्र
गुवाहाटीअरुणाचल प्रदेश, असम, नागालैंड, मिजोरम
बम्बईमहाराष्ट्र, गोवा, दादरा और नगर हवेली, दमन और दीव
कलकत्तापश्चिम बंगाल, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह
केरलकेरल, लक्षद्वीप
मद्रासतमिलनाडु, पुडुचेरी
पंजाब और हरियाणापंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़


उच्च न्यायालय और उनके न्यायपीठ

उच्च न्यायालयन्यायपीठ
इलाहाबाद उच्च न्यायालयलखनऊ
बंबई उच्च न्यायालयनागपुर, पणजी, औरंगाबाद
कलकत्ता उच्च न्यायालयपोर्ट ब्लेयर
गुवाहाटी उच्च न्यायालयकोहिमा, आइजोल, ईटानगर
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालयग्वालियर, इंदौर
मद्रास उच्च न्यायालयमदुरै
राजस्थान उच्च न्यायालयजयपुर

उच्च न्यायलय जिनके प्रधान पीठ राज्यों की राजधानी में स्थित नही है

उच्च न्यायलयप्रधान पीठ
छत्तीसगढ़बिलासपुर
गुजरातअहमदाबाद
केरलकोची
मध्य प्रदेशजबलपुर
ओडिशाकटक
राजस्थानजोधपुर
उत्तराखंडनैनिताल
उत्तर प्रदेशइलाहाबाद

केंद्र शासित प्रदेश व उनके उच्च न्यायालय

केंद्र शासित प्रदेशउच्च न्यायालय
अंडमान और निकोबार द्वीप समूहकलकत्ता उच्च न्यायालय
लक्षद्वीपकेरल उच्च न्यायालय
पुडुचेरीमद्रास उच्च न्यायालय
दादरा और नगर हवेलीबंबई उच्च न्यायालय
दमन और दीवबंबई उच्च न्यायालय
चंडीगढ़पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय
दिल्लीदिल्ली उच्च न्यायालय

याद रखने वाले कुछ महत्वपूर्ण तथ्य

भारत का उच्चतम न्यायलय 28 जनवरी 1950 को अस्तित्व में आया । इससे पहले 1937-1950 भारत की संघीय अदालत कार्यरत थी ।
उच्चतम न्यायलय में न्यायधीशों की संख्या न्यायमूर्ती एवं 30 अन्य न्यायधीश है ।
भारत के उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश पैंसठ वर्ष की अधिकतम आयु तक पद धारण कर सकते हैं।
भारत में उच्च न्यायालयों की कुल संख्या 24* है।
* 3 उच्च न्यायालयों का उद्घाटन संबंधित राज्यों की राजधानियों में इस प्रकार हुआ - मेघालय और मणिपुर उच्च न्यायालय (25 मार्च 2013) और त्रिपुरा उच्च न्यायालय (26 मार्च 2013) ।
भारत में सबसे पुराना उच्च न्यायालय कलकत्ता उच्च न्यायालय है जिसकी स्थापना 1 जुलाई 1862 को हुई थी । कलकत्ता, बम्बई तथा मद्रास उच्च न्यायालय की स्थापना 1862 मे एक राजज्ञा द्वारा हुई थी ।
उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए अधिकतम आयु सीमा बासठ वर्ष है।