आर्थिक सर्वेक्षण 2016-17 खंड-2 जारी हुआ:


संसद में 11 अगस्त 2017 को प्रस्तुत किये गये आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि 2016-17 में 6.75 से 7.5 प्रतिशत आर्थिक वृद्धि के अनुमान के उच्चतम दायरे (7.5 प्रतिशत जीडीपी वृद्धि) का हासिल होना मुश्किल होगा। सर्वेक्षण में कहा गया है कि यह मुश्किल रुपये की विनिमय दर में तेजी, कृषि ऋण माफी और माल एवं सेवा कर (जीएसटी) को लागू करने से संबंधित शुरूआती चुनौतियों के कारण होगी।
यह पहला अवसर है जब सरकार ने किसी वित्तीय वर्ष के लिए आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट दो बार प्रस्तुत की है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2016-17 के लिए पहला आर्थिक सर्वेक्षण 31 जनवरी 2017 को लोकसभा में रखा था क्योंकि इस बार आम बजट फरवरी के शुरू में ही पेश किया गया। 11 अगस्त 2017 को प्रस्तुत आर्थिक सर्वेक्षण में फरवरी के बाद अर्थव्यवस्था के सामने उत्पन्न नयी परिस्थितियों को रेखांकित किया गया है।
आर्थिक सर्वेक्षण 2016-17 खंड-2 की मुख्य बातें:
वर्ष 2016-17 में केन्द्र सरकार के राजकोषीय परिणाम कर राजस्व में उल्लेखनीय वृद्धि, पूंजीगत खर्चों में निरंतरता और गैर-वेतन/पेंशन राजस्व व्यय के समेकन के रूप में चिन्हित हुए। इसके परिणामस्वरूप सरकार को वर्ष 2016-17 में राजकोषीय घाटे को जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) के 3.5 प्रतिशत तक सीमित रखने में मदद मिली।
वर्ष 2017-18 के केन्द्रीय बजट में क्रमिक राजकोषीय समेकन मार्ग को अपनाया गया है। वर्ष 2017-18 में राजकोषीय घाटे के कम होकर जीडीपी के 3.2 प्रतिशत पर आ जाने की आशा है। एफआरबीएम रूपरेखा के तहत राजकोषीय घाटे के जीडीपी का तीन प्रतिशत रहने का जो लक्ष्य तय किया गया है उसके वर्ष 2018-19 में प्राप्त होने की आशा है।
अर्थव्यवस्था के कुछ क्षेत्रों में विकास की सुस्त गति और बढ़ती ऋणग्रस्तता का असर बैंकों की परिसंपत्तियों की गुणवत्ता पर पड़ा, जो चिंता का विषय है। अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) का सकल गैर-निष्पादित अग्रिम (जीएनपीए) अनुपात सितम्बर, 2016 के 9.2 प्रतिशत से बढ़कर मार्च 2017 में 9.5 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच गया।
प्रधानमंत्री जन धन योजना के तहत वित्तीय समावेश निरंतर तेज गति हासिल कर रहा है। प्रधानमंत्री जन धन योजना के तहत शून्य बैलेंस वाले खातों की संख्या निरंतर घटती जा रही है, जो मार्च 2015 के लगभग 58 प्रतिशत से कम होकर दिसम्बर, 2016 में तकरीबन 24 प्रतिशत के स्तर पर आ गई।
भारत ने 2 अक्टूबर, 2016 को पेरिस समझौते का अनुमोदन किया। वर्ष 2020 के बाद की अवधि के लिए भारत के कदम उसके द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित अंशदान (एनडीसी) पर आधारित हैं।
भारत के एनडीसी में वर्ष 2005 के स्तर के मुकाबले वर्ष 2030 तक उत्सर्जन तीव्रता में 33-35 प्रतिशत की कमी करने, वर्ष 2030 तक गैर-जीवाश्म आधारित विद्युत उत्पादन क्षमता को बढ़ाकर स्थापित विद्युत क्षमता (संचयी) का 40 प्रतिशत करने और वर्ष 2030 तक अतिरिक्त वन एवं वृक्ष कवर के जरिये 2.5–3 गीगाटन उत्सर्जित कार्बन डाईऑक्साइड का अतिरिक्त कार्बन भंडार बनाने का लक्ष्य रखा गया है।
भारत में एफडीआई का सकल प्रवाह वर्ष 2016-17 में काफी बढ़कर 60.2 अरब अमेरिकी डॉलर के स्तर पर पहुंच गया, जो वर्ष 2015-16 में 55.6 अरब अमेरिकी डॉलर था। हालांकि, एफडीआई का शुद्ध प्रवाह (बाह्य एफडीआई के समायोजन के बाद) 1.1 प्रतिशत की मामूली कमी के साथ 35.6 अरब अमेरिकी डॉलर के स्तर पर आ गया, जो वर्ष 2015-16 में 36.0 अरब अमेरिकी डॉलर था।
वर्ष 2017-18 (अप्रैल-जून) के दौरान निर्यात में दहाई अंकों (10.6 प्रतिशत) में वृद्धि दर्ज की गई। यही नहीं, निर्यात में पिछले 11 महीनों से निरंतर वृद्धि दर्ज की जा रही है।
जिन प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं को चालू खाता घाटे का सामना करना पड़ रहा है, उनमें भारत एक ऐसा देश है, जिसके पास दूसरा सबसे बड़ा विदेशी मुद्रा भंडार है। इस मामले में भारत से केवल ब्राजील ही आगे है, जिसके पास 7 जुलाई, 2017 तक 386.4 अरब अमेरिकी डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार आंका गया था।
2015-16 के दौरान औद्योगिक कामकाज 8.8 प्रतिशत था, जिसमें 2016-17 में कमी हुई और वह 5.6 प्रतिशत हो गया


2011-12 की नई श्रृखला के औद्योगिक उत्पादन सूचकांक का औद्योगिक विकास बताता है कि 2016-17 में कुल विकास 5 प्रतिशत रहा, जबकि पिछले साल यह 3.4 प्रतिशत था।
8 प्रमुख उद्योगो आधारित सूचकांक के अनुसार 2016-17 में विकास 4.8 प्रतिशत रहा, जबकि 2015-16 में यह 3.0 प्रतिशत था।

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