प्रधानमंत्री ने सघन मिशन इंद्रधनुष का उद्घाटन किया:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 अक्टूबर 2017 को गुजरात के वडनगर में सघन मिशन इंद्रधनुष का शुभारंभ किया। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम के जरिए भारत सरकार ने दो वर्ष की आयु के प्रत्येक बच्चे और उन गर्भवती माताओं तक पहुंचने का लक्ष्य रखा है जो टीकाकरण कार्यक्रम के अंतर्गत यह सुविधा नहीं पा सके हैं।
प्रमुख तथ्य:
विशेष अभियान के तहत टीकाकरण पहुंच में सुधार के लिए चुने हुए जिलों और राज्यों में दिसंबर 2018 तक पूर्ण टीकाकरण से 90 प्रतिशत से अधिक का लक्ष्य रखा गया है। मिशन इंद्रधनुष के अंतर्गत 2020 तक पूर्ण टीकाकरण का लक्ष्य रखा गया है। इसके तहत 90 प्रतिशत क्षेत्रों को शामिल किया जाना है।
इससे पहले पूर्ण टीकाकरण, कवरेज में वृद्धि का लक्ष्य हर वर्ष 1 प्रतिशत था। मिशन इंद्रधनुष पहले दो चरणों में टीकाकरण में 6.7 प्रतिशत प्रतिवर्ष की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है।
प्रधानमंत्री ने लोगों से अपील की कि वे मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को रोकने के लिए चलाए जा रहे कार्यक्रम को अपनाए और इस दिशा में सरकार को सहयोग दें।

मिशन इंद्रधनुष के चार चरणों के तहत 2.53 करोड़ बच्चे और 68 लाख गर्भवती महिलाओँ को जीवनरक्षक टीकें उपलब्ध कराए गए हैं। इनमें से 5.21 लाख बच्चे और 1.27 लाख गर्भवती महिलाएं गुजरात से हैं।
अक्तूबर 2017 और जनवरी 2018 के बीच हर महीने सघन मिशन इंद्रधनुष कार्यक्रम के तहत सर्वोच्च प्राथमिकता वाले जिलों और शहरी क्षेत्रों में 173 जिलों, 16 राज्यों के 121 जिलों और 17 शहरों और 8 पूर्वोत्तर राज्यों के 52 जिलों में निरंतर टीकाकरण का दौर जारी रहेगा।
सघन मिशन इंद्रधनुष कार्यक्रम चुनिंदा में ऐसे जिलों और शहरी क्षेत्रों में वाले क्षेत्रों में चलाया जाएगा जहां टीकाकरण कम हुआ है। यह क्षेत्र राष्ट्रीय सर्वेक्षण, स्वास्थ्य प्रबंध सूचना प्रणाली डेटा एवं विश्व स्वास्थ्य संगठन से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर तय किए जाएंगे।
एक स्थान से दूसरे स्थान पर प्रवास करने वाले शहरी झुग्गी-झोपड़ियों और उप-केंद्रों में ऐसे क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा जहां टीकाकरण या तो नहीं हुआ या उसका प्रतिशत बहुत कम है। राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत शहरी बस्तियों और शहरों पर विशेष ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
सघन मिशन इंद्रधनुष टीकाकरण कवरेज में सुधार के लिए अंतरमंत्रालय और अंतर विभागीय समन्वय, कार्रवाई आधारित समीक्षा प्रबंध एवं सघन निगरानी और जवाबदेही प्रणाली अपनाई जाएगी ताकि लक्षित क्षेत्रों में प्रभावी टीकाकरण का लक्ष्य हासिल किया जा सके। इस कार्यक्रम में 11 अन्य मंत्रालय और विभाग भी अपना समर्थन प्रदान कर रहे हैं।
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, पंचायती राज, शहरी विकास, युवा कार्य एवं अन्य मंत्रालयों ने सघन मिशन इंद्रधनुष कार्यक्रम में अपना सहयोग दिया है। जमीनी स्तर पर कार्य करने वाले विभिन्न लोगों के जरिए इस कार्यक्रम को प्रभावी ढंग से कार्यान्वित किया जाएगा। आशा, आंगनबाड़ी वर्कर, राष्ट्रीय शहरी जीविका मिशन के अंतर्गत जिला प्रेरक और स्वयंसेवी संगठनों के बेहतर समन्वय और प्रभावी कार्यान्वयन के जरिए यह कार्यक्रम चलाया जाएगा।
जिला, राज्य और केंद्रीय स्तर पर नियमित अंतराल के दौरान सघन मिशन इंद्रधनुष की कड़ी निगरानी की जाएगी। बाद में राष्ट्रीय स्तर पर मंत्रिमंडलीय सचिव इसकी समीक्षा करेंगे। प्रगति कार्यक्रम के तहत सर्वोच्च स्तर पर इसकी निगरानी होगी।
सघन मिशन इंद्रधनुष कार्यक्रम में सरकार द्वारा निरीक्षण, सहायकों की निगरानी और सर्वेक्षण के जरिए चलाया जाएगा। इस कार्यक्रम की निगरानी के लिए विशेष रणनीति बनाई गई है। राज्य और जिला स्तर पर आत्मावलोकन के अंतराल पर आधारित सुधार योजना तैयार की गई है। ये योजनाएं राज्य से केंद्रीय स्तर तक चलाई जाएंगी ताकि दिसंबर 2018 तक 90 प्रतिशत तक टीकाकरण का लक्ष्य हासिल किया जा सके।
90 प्रतिशत से अधिक का लक्ष्य हासिल करने वाले जिलों के लिए मूल्यांकन और पुरस्कार पद्धति अपनाई जाएगी। लक्ष्य के मार्ग में अवरोधों की स्थिति में बेहतरी के लिए पद्धति अपनाई जाएगी और मीडिया प्रबंधन के द्वारा जागरूकता अभियान चलाए जाएंगे। साझीदारों/नागिरक सोसाइटी संगठनों और अन्यों के सहयोग से प्रशंसा प्रमाणपत्र प्रदान किए जाएंगे।

नोबेल पुरस्कार विजेता 2017: सम्पूर्ण सूची

अक्टूबर महीने में नोबेल पुरस्‍कार 2017 के विजेताओं की घोषणा शुरू हो गई है। इस पुरस्कार की शुरुआत स्वीडन के एल्फ्रेड नोबेल के नाम पर 1895 में की गई थी। उन्‍होंने डायनामाइट का आविष्‍कार किया था। नोबेल पुरस्कार प्रत्येक वर्ष चिकित्सा, भौतिकी, रसायन, साहित्य और शांति के साथ-साथ अर्थशास्त्र के क्षेत्र में अहम योगदान के लिए दुनिया के सर्वोच्‍च सम्‍मान दिए जाते हैं।
सभी विजेताओं को 10 दिसंबर को अल्फ्रेड नोबेल की पुण्यतिथि पर स्वीडन में सम्मानित किया जाएगा। वर्ष 2017 में सबसे ज्यादा नोबेल पुरस्कार पाने वाले देशों में अमेरिका पहले स्थान पर है। दूसरे स्थान पर जर्मनी है और इसके बाद ब्रिटेन तथा फ्रांस का स्थान आता है।
नोबेल पुरस्कार 2017:
फिजियोलॉजी या चिकित्सा:
मानव शारीर की आंतरिक जैविक घड़ी (बायोलॉजिकल क्लॉक) विषय पर किए गए शोध के लिए अमेरिका के वैज्ञानिकों जेफरी सी हॉल, माइकल रोजबाश और माइकल डब्ल्यू.यंग को नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। बॉयलोजिकल क्लॉक को सर्केडियन रिदम के नाम से जाना जाता है।
सर्वप्रथम 1901 में जर्मन फिजियोलॉजिस्ट एमिल वॉन बेहरिंग को इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

भौतिक विज्ञान:
लीगो (लेजर इंटरफेरोमीटर ग्रेविटेशनल वेव ऑब्जर्वेटरी) डिटेक्टर में निर्णायक योगदान और गुरुत्वाकर्षण तरंगों के अवलोकन के लिए रेनर वीस (जर्मनी), बैरी सी. बरिश (अमेरिका) और किप एस थोरने (अमेरिका) को नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।


रसायन विज्ञान:
बॉयोमालीक्यूल्स के सोल्यूशन के उच्च संकल्प संरचना निर्धारण के लिए क्रायो-इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी विकसित करने के लिए जैक्स डोबोकेट (स्विटजरलैंड), जोचिम फ्रैंक (जर्मनी) और रिचर्ड हेंडरसन (स्कॉटलैंड) को नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

साहित्य:
जापानी मूल के ब्रिटिश लेखक काजुओ इशीगुरो को वर्ष 2017 का साहित्य का नोबेल दिया जाएगा। आठ किताबें लिख चुके इशीगुरो ने ‘रीमेंश ऑफ द डे’ से वैश्विक स्तर पर ख्याति अर्जित की थी। इस उपन्यास पर हॉलीवुड फिल्म भी बन चुकी है। फिल्म को ऑस्कर के लिए नामांकित किया गया था। उन्हें वर्ष 1989 में बुकर अवार्ड से नवाजा गया था।

शांति:
एंटी न्यूक्लियर अभियान चलाने वाली संस्था आईसीएएन (ICAN) को वर्ष 2017 का नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ है। नॉर्वे की नोबेल कमेटी के मुताबिक, आईसीएएन को 2017 का शांति के नोबेल पुरस्कार दुनिया में परमाणु हथियारों के इस्तेमाल के बाद भयावह परिस्थितियों से अवगत कराने के लिए उसके प्रयासों की वजह से दिया गया है।

अर्थशास्त्र:
अमेरिकी अर्थशास्त्री रिचर्ड एच. थेलर को वर्ष 2017 के लिए अर्थशास्त्र नोबेल पुरस्कार के लिए चुना गया है। 72 वर्षीय थेलर को ‘व्यावहारिक अर्थशास्त्र में योगदान’ के लिए दिया गया है।

नोबेल पुरस्कार के बारे में जानने योग्य प्रमुख तथ्य:
  • नोबेल पुरस्कार की स्थापना स्वीडिश उद्योगपति और वैज्ञानिक अल्फ्रेड नोबेल ने की थी जिन्होंने 1866 में डायनामाइट का आविष्कार किया था।
  • अब तक केवल 2 महिलाओं को भौतिकी पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
  • अब तक 4 महिलाओं को रसायन विज्ञान पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
  • फ्रेडरिक सेंगर को 1958 में और 1980 में दो बार  रसायन विज्ञान पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
  • 35 साल की आयु में सबसे कम उम्र के रसायन शास्त्र पुरस्कार विजेता, फ्रेडरिक जलोियट थे, जिन्हें 1935 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
  • फिजियोलॉजी या चिकित्सा में नोबेल पुरस्कार कारोलिंसका इंस्टिट्यूट, स्टॉकहोम, स्वीडन में नोबेल असेंबली द्वारा दिया जाता है।
  • नोबेल शांति पुरस्कार को पांच व्यक्तियों की एक समिति द्वारा सम्मानित किया जाता है जिन्हें नॉर्वेजियन स्टॉर्टिंग (नॉर्वे की संसद) द्वारा चुना जाता है।
  • शांति पुरस्कार विजेता, ले डुक थो, ने नोबेल शांति पुरस्कार लेने से मना कर दिया था।
  • अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कारों की शुरुआत 1969 में हुयी थी।
  • नोबेल पुरस्कार केवल जीवित लोगों को ही दिया जा सकता है।

अंतरराष्ट्रीय वृद्ध दिवस: 01 अक्टूबर


अंतरराष्ट्रीय वृद्ध दिवस (International Day of Older Persons) या 'अंतरराष्ट्रीय वरिष्‍ठ नागरिक दिवस' प्रत्येक वर्ष 1 अक्टूबर को मनाया जाता है। इस अवसर पर अपने वरिष्‍ठ नागरिकों का सम्मान करने एवं उनके सम्बन्ध में चिंतन करना आवश्यक होता है। आज का वृद्ध समाज अत्यधिक कुंठा ग्रस्त है और सामान्यत: इस बात से सर्बाधिक दु:खी है कि जीवन का विशद अनुभव होने के बावजूद कोई उनकी राय न तो लेना चाहता है और न ही उनकी राय को महत्व ही देता है।
इस प्रकार अपने को समाज में एक तरह से  निष्प्रयोज्य समझे जाने के कारण हमारा वृद्ध समाज सर्बाधिक दु:खी रहता है। वृद्ध समाज को इस दुःख और संत्रास से छुटकारा दिलाना आज की सबसे बड़ी जरुरत है। इस दिशा में ठोस प्रयास किये जाने की बहुत आवश्यकता है।
वर्ष 2017 का विषय (थीम):
वर्ष 2017 के लिए अंतरराष्ट्रीय वृद्ध दिवस की थीम "स्टेपिंग इनटू फ्यूचर: टैपिंग द टैलेंट्स, कंट्रीब्यूशन एंड पार्टिसिपेशन ऑफ़ ओल्डर पर्सन्स इन सोसाइटी" है।
इतिहास:
संपूर्ण विश्व में बुजुर्गों के प्रति होने वाले अन्याय और उनके साथ दुर्व्यवहार पर लगाम लगाने के साथ-साथ वृद्धों को उनके अधिकारों के प्रति जागरुक करने के उद्देश्य से 14 दिसंबर, 1990 के दिन संयुक्त राष्ट्र ने यह निर्णय लिया कि हर साल 1 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय बुजुर्ग दिवस के रूप में मनाया जाएगा।
इससे बुजुर्गों को भी उनकी अहमियत का अहसास होगा और समाज के अलावा परिवार में भी उन्हें उचित स्थान दिलवाया जा सकेगा। सबसे पहले 1 अक्टूबर, 1991 को बुजुर्ग दिवस मनाया गया और तब से यह सिलसिला निरंतर जारी है।
भारत में बुजुर्गों की स्थिति:
वैसे तो भारत में भी बुजुर्गों की रक्षा और उन्हें अधिकार दिलवाने के लिए भारत में भी कईकानूनों का निर्माण किया गया है लेकिन आज भी उनका पालन सही तरीके से नहीं किया जाता। केंद्र सरकार ने भारत में वरिष्‍ठ नागरिकों के आरोग्‍यता और कल्‍याण को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 1999 में वृद्ध सदस्‍यों के लिए राष्ट्रीय नीति तैयार की।
जिसके तहत व्‍यक्तियों को स्‍वयं के लिए तथा उनके पति या पत्‍नी के बुढ़ापे के लिए व्‍यवस्‍था करने के लिए प्रोत्‍साहित किया जाता है और साथ ही परिवार वालों को वृद्ध सदस्‍यों की देखभाल करने के लिए प्रोत्‍साहित करने का भी प्रयास किया जाता है।
इसके साथ ही 2007 में माता-पिता एवं वरिष्‍ठ नागरिक भरण-पोषण विधेयक संसद में पारित किया गया। इसमें माता-पिता के भरण-पोषण, वृद्धाश्रमों की स्‍थापना, चिकित्‍सा सुविधा की व्‍यवस्‍था और वरिष्‍ठ नागरिकों के जीवन और सं‍पत्ति की सुरक्षा का प्रावधान किया गया है।
विभिन्न प्रयासों के बावजूद स्थिति चिंताजनक:
हाल ही में 'वर्ल्ड एल्डर एब्यूज अवेयरनेस डे' के अवसर पर हेल्पेज इंडिया ने बुजुर्गों की स्थिति पर एक सर्वे किया था, जिससे पता चला कि भारत में भी बुजर्गों के साथ बहुत शर्मनाक व्यवहार होने लगा है। खुद बुजुर्गों ने उपेक्षा और बुरे व्यवहार की शिकायत की है। यह अध्ययन देश के 19 छोटे बड़े शहरों में साढ़े चार हजार से अधिक बुजुर्गों पर किया गया है।
जिन बुजुर्गों को सर्वे में शामिल किया गया, उनमें से 44 फीसदी लोगों का कहना था कि सार्वजनिक स्थानों पर उनके साथ बहुत गलत व्यवहार किया जाता है। बेंगलूरू, हैदराबाद, भुवनेश्वर, मुंबई और चेन्नई ऐसे शहर पाये गये, जहां सार्वजनिक स्थानों पर बुजुर्गों से सबसे बुरा बर्ताव होता है।

सर्वे में शामिल बेंगलूरू के 70 फीसदी बुजर्गों ने बताया कि उनको सार्वजनिक स्थान पर बुरे व्यवहार का सामना करना पड़ता है। हैदराबाद में यह आंकड़ा 60 फीसदी, गुवाहाटी में 59 फीसदी और कोलकाता में 52 फीसदी है। बुजुर्गों के सम्मान के मामले में दिल्ली सबसे आगे दिखी, जहां सिर्फ 23 फीसदी बुजुर्गों को सार्वजनिक स्थान पर बुरे व्यवहार का सामना करना पड़ता है।